India and Pakistan post Modi’s US visit Amar Ujala 29 Jun 2023
भारत की पाकिस्तान पर फिर हुई कूटनीतिक जीत, पड़ोस में बुरा दौर खत्म होने की उम्मीदें भी कम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की औपचारिक बातचीत के बाद जारी संयुक्त बयान से पाकिस्तान की बेचैनी खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है। संयुक्त बयान में कहा गया है, ‘प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति बाइडन ने संयुक्त राष्ट्र में सूचीबद्ध सभी आतंकवादी समूहों के खिलाफ ठोस कार्रवाई का आह्वान किया। उन्होंने सीमा पार आतंकवाद और आतंकवादी प्रॉक्सी के इस्तेमाल की कड़ी निंदा की और पाकिस्तान से यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कार्रवाई करने का आह्वान किया कि उसके देश का इस्तेमाल आतंकवादी हमले शुरू करने के लिए न किया जाए। उन्होंने 26/11 के मुंबई और पठानकोट हमलों के अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने का आह्वान किया।‘ 26/11 में अमेरिकी नागरिक भी मारे गए थे, इसलिए अमेरिका की इसमें दिलचस्पी है। ये बयान पाकिस्तान के लिए दिल पर चोट जैसा था।
पाकिस्तान को उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री मोदी कश्मीर में मानवाधिकारों पर व्याख्यान देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि भारत मानवाधिकारों पर व्याख्यान नहीं देगा। जिस बात ने पाकिस्तान को सबसे ज्यादा प्रभावित किया, वह संयुक्त विज्ञप्ति में जोड़ी गई टिप्पणियां थीं, जिसमें लिखा था, ‘भारत और अमेरिका ने वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) से मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने के लिए अपने मानकों के वैश्विक कार्यान्वयन में सुधार करने के तरीके की पहचान करने के लिए कहा।‘ साफ है कि यह पाकिस्तान के लिए चेतावनी थी कि वह अपने में सुधार करे या फिर ग्रे लिस्ट में जाने के लिए तैयार रहे।
पाकिस्तान के प्रवक्ता ने इन टिप्पणियों का खंडन करते हुए कहा, ‘हम संयुक्त बयान में पाकिस्तान से संबंधित टिप्पणियों को अनुचित, एकतरफा और भ्रामक मानते हैं। यह राजनयिक मानदंडों के विपरीत है और इसके राजनीतिक निहितार्थ हैं। हमें आश्चर्य है कि अमेरिका के साथ पाकिस्तान के करीबी आतंकवाद विरोधी सहयोग के बावजूद इसे जोड़ा गया है।‘ उसने अमेरिकी दूतावास के मिशन के उप प्रमुख को भी तलब किया और आपत्ति पत्र सौंपा।
खुद को बचाने की पाकिस्तान की कोशिशें तब और विफल हो गईं, जब अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने अपनी दैनिक प्रेस वार्ता में कहा, ‘हम पाकिस्तान के सभी आतंकवादी समूहों और उसके विभिन्न प्रमुख संगठनों को स्थायी रूप से नष्ट करने के लिए कदम उठाने पर भी लगातार कायम रहे हैं। हम इस मुद्दे को पाकिस्तानी अधिकारियों के समक्ष नियमित रूप से उठाएंगे।‘ जाहिर है, पाकिस्तान के पास मामले को शांत करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
पाकिस्तान ने हाल के दिनों में अमेरिका और चीन के साथ अपने संबंधों को संतुलित करने का प्रयास किया है। उसे आईएमएफ से ऋण लेने और भारत को नियंत्रण में रखने के लिए अमेरिका की जरूरत है, जबकि राहत पैकेज और निवेश के लिए चीन की। लेकिन भारत अब मजबूती से अमेरिका के साथ जुड़ा है, जबकि पाकिस्तान को अमेरिकी खेमे से बाहर किया जा रहा है।
भारत–अमेरिकी संयुक्त बयान भारत के लिए कूटनीतिक जीत है, जिससे इस्लामाबाद के खिलाफ अधिक आक्रामक रुख अपनाने के दरवाजे खुल गए हैं। प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के कुछ ही दिनों बाद रक्षामंत्री राजनाथ सिंह का बयान आया, जिसमें उन्होंने कहा कि कश्मीर के एक हिस्से पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा उसे इस क्षेत्र में कोई वैधता नहीं देता है। उन्होंने आगे कहा कि हमें ज्यादा कुछ नहीं करना पड़ेगा। पीओके की प्रताड़ित जनता खुद भारत का हिस्सा बनने की मांग करेगी। वे भारत का हिस्सा बनने के लिए नारे लगा रहे हैं। इसके जरिये भारत के लोगों को संदेश दिया गया कि सरकार पीओके को भारत का हिस्सा मानती है और इस पर कोई समझौता नहीं करेगी।
दूसरी तरफ पीओके के लोगों को यह संदेश दिया गया कि आप अपनी आवाज उठाएं, हथियार उठाएं और पाकिस्तानी सेना को चुनौती दें। तभी भारत में आपके शामिल होने का माहौल तैयार होगा। नियंत्रण रेखा से बंटे कश्मीर के दोनों हिस्सों में भारी अंतर है। एक हिस्सा विकास देख रहा है, जबकि दूसरा हिस्सा उपेक्षा का शिकार है। एक तरफ जीवन–स्तर में बढ़ोतरी देखी जा रही है, तो दूसरी तरफ गिरावट। एक समय आएगा, जब पीओके के लोग भारत में मिलने के लिए हथियार उठा लेंगे।
अनुच्छेद 370 हटाने के बाद भारत ने बातचीत के जरिये कश्मीर के समाधान का जिक्र बंद कर दिया है। यह संदेश दे दिया गया है कि कश्मीर पर बात नहीं होगी, केवल पीओके पर बात होगी। भारत ने आक्रामक कूटनीति के जरिये पाकिस्तान को अलग–थलग कर दिया है। साथ ही एफएटीफ की निगरानी भी बढ़ गई है, इसलिए पाकिस्तान को सावधानी से चलना होगा। अगर उसने एक भी गलत कदम उठाया, तो उसे वैश्विक आक्रोश का सामना करना पड़ सकता है।
पाकिस्तान ने अपना सामरिक महत्व खो दिया है, जबकि भारत का वैश्विक स्तर पर सम्मान हो रहा है। भारत–अमेरिका संबंधों में मजबूती के कारण पाकिस्तान स्वयं को अलग–थलग महसूस कर रहा है। अनुच्छेद 370 की बहाली की मांग करने वाली उसकी कश्मीर नीति की नई दिल्ली ने अनदेखी कर दी है। उभरता हुआ भारत अब निर्णायक फैसले ले रहा है।
चीन लगातार पाकिस्तान का समर्थन कर रहा है। हाल ही में उसने पाकिस्तानी नागरिक साजिद मीर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने की भारत–अमेरिकी मांग को रोक दिया। घाटी में जी-20 बैठक पर रोक लगाने की पाकिस्तान की मांग का भी उसने समर्थन किया। अमेरिका–चीन के बीच बढ़ती प्रतिद्वंद्विता से पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ गई हैं। चीन के साथ उसकी नजदीकी से अमेरिका के साथ संबंधों पर असर पड़ा है।
पाकिस्तान की राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा चिंताएं उसकी बेचैनी बढ़ा रही हैं। कुछ महीनों के भीतर चुनाव होने से वहां की स्थिति और खराब होगी। वह मात्र खंडन करने, भारतीय टिप्पणियों का जवाब देने और आतंकवादी गतिविधियों में कटौती करने में सक्षम है। वह जानता है कि यदि उसका कोई भी कदम भारत की सहनशीलता को पार करेगा, तो उसके विनाशकारी परिणाम होंगे।
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The joint statement issued after PM Modi and President Biden had formal talks irked Pakistan no end. The statement read, ‘Prime Minister Modi and President Biden reiterated the call for concerted action against all UN-listed terrorist groups. They strongly condemned cross-border terrorism, the use of terrorist proxies and called on Pakistan to take immediate action to ensure that no territory under its control is used for launching terrorist strikes. They called for the perpetrators of the 26/11 Mumbai and Pathankot attacks to be brought to justice.’ 26/11 also had US citizens killed and hence is of interest to them. For Pakistan this statement was a kick in the guts.
Pakistan expected PM Modi to be lectured on human rights in Kashmir, the narrative of which they had carefully built as also on protection of minorities based on demands of many anti-India groups in the US. Pro-Pak senators and the Indian American Muslim Council had worked to build an anti-India sentiment. This did not happen. The NSC (National Security Council) spokesperson John Kirby stated that India would not be lectured on human rights. Comments by former President Barrack Obama were meaningless.
What impacted Pakistan even more were added comments in the joint communique, which read, ‘(India and US) called upon the Financial Action Task Force (FATF) to undertake further work identifying how to improve global implementation of its standards to combat money laundering and the financing of terrorism.’ This was evidently a warning to Pak to behave or be prepared to be back in the Grey List.
Pakistan was pushed onto the defensive. It denied these comments with its spokesperson stating, ‘We consider the Pakistan-specific reference in the Joint Statement as unwarranted, one-sided, and misleading. The reference is contrary to diplomatic norms and has political overtones. We are surprised that it has been added despite Pakistan’s close counterterrorism cooperation with the US.’ It even summoned the US embassy’s deputy chief of mission and handed a demarche.
Pakistan’s attempts to defend itself further misfired when the US State Department spokesperson, Mathew Miller, stated in his daily briefing, ‘we have also been consistent on the importance of Pakistan continuing to take steps to permanently dismantle all terrorist groups and their various front organizations and we will raise the issue regularly with Pakistani officials.’ The US justifying its joint statement meant Pak has no option but to let the matter rest.
Pakistan has, in recent times, attempted to balance its ties between the US and China. It needs the US for IMF loans and keeping India under check while China for bailouts and investments. Hence Hina Rabbani Kaur, Pakistan’s Minister of state for foreign affairs stated, ‘Islamabad had no appetite to pick a side in the growing global rivalry between Washington and Beijing.’ With India now firmly is the US camp, Pakistan is being edged out.
The joint statement came as a diplomatic victory to India opening doors for a more aggressive approach against Islamabad. Just a couple of days after the visit, which witnessed India-US bonhomie and Pakistan bashing, came the statement of Rajnath Singh in Jammu. Rajnath mentioned in a seminar that Pakistan’s illegal occupation of a part of Kashmir does not grant them any legitimacy in the region.
He added, ‘You are witnessing what is happening in the POK now. We won’t have to do much. The tortured people of POK will themselves demand to be a part of India. They have been raising slogans about becoming a part of India.’ The message was for audiences in India and Pak. To Indians, it conveyed that the government continues to consider POK as Indian territory and will not compromise. For residents of POK the message was raise your voice, rise in arms and challenge the Pak army. Only then will you create an atmosphere for joining India.
There is a stark difference between the two parts of Kashmir, separated by the LoC. One side is witnessing development, while the other, neglect. One side is witnessing an enhancement in standards of life, while the other is witnessing deterioration. It is a matter of time before residents of POK lift weapons demanding merger with India.
Post abrogation of article 370 India has stopped mentioning resolution of Kashmir through dialogue. It has been sending the message that Kashmir is non-negotiable, with talks solely on POK. With Pak sponsored terrorism curtailed by a strong security grid, backed by aggressive diplomacy which has isolated Pakistan, as also enhanced FATF scrutiny, Pakistan has to tread carefully. One wrong step and it could face global wrath.
With it no longer being a frontline state, Pakistan has lost its strategic value. It is India which is being globally courted. With Kashmir no longer considered a global nuclear flashpoint and growing India-US relations, Pakistan is feeling the isolation. Its heady Kashmir policy calling for reinstatement of article 370 as a prelude to talks is ignored in Delhi. It is a rising India which is now calling the shots.
China continues to provide Pakistan support as it did when it placed a hold on the US-India demand to declare Pak national Sajid Mir a global terrorist. China also backed Pakistan’s demand that no G 20 preliminary meetings be held in the valley. The growing US-China conflict has only added to Pakistan’s problems as its close ties with China have impacted its relations with the US.
Pakistan’s political, economic and security instabilities are only adding to its discomfort. With elections due within months Pakistan’s scenario is only likely to worsen. All it would be able to do is issue statements of denial, counter Indian comments and curtail its terrorist activities. It is aware that if an incident crosses India’s level of tolerance, especially as India heads into election mode, the consequences could be disastrous.
A nation which was once the darling of the west, while they fought in Afghanistan is currently in the dumps, ignored and left to fend for itself. It claims on Kashmir are meaningless while India aggressively demands POK. When a country loses global credibility, it is left with no voice as also limited friends. This is the state of Pakistan today.